थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना, कार्य और सिद्धांत (theosophical society, theosophical society ki sthapna, karya aur Siddhant
थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना उन विद्वानों ने की थी जो भारतीय संस्कृति और विचारों से बहुत प्रभावित हुए थे 1875 ई• में रूस की एक महिला ने थियोसोफिकल सोसायटी की नींव न्यूयॉर्क में रखी थी। कुछ दिनों बाद कर्नल अलकॉट उनके संपर्क में आए और उन्होंने अपनी सोसाइटी का मुख्यालय भारत के चेन्नई राज्य में स्थापित किया। आगे चलकर श्रीमती एनी बेसेंट थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष बनीं।
थियोसोफिकल सोसायटी
1893 ई• में थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष श्रीमती एनी बेसेंट बनी श्रीमती एनी बेसेंट भारतीय विचार एवं संस्कृति से परिचित हैं बाद में वह मेल मिलाप और सामाजिक शिष्टाचार से हिंदू हो गई।
श्रीमती एनी बेसेंट को भारत के प्राचीन धर्म में विश्वास था उन्होंने अपनी सोसाइटी के माध्यम से हिंदू धर्म के उत्तम विचारों को चारों ओर फैलाया तथा साथ ही हिंदू धर्म में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का भी प्रयत्न किया।
थियोसोफिकल सोसायटी के कार्य
1. इस संस्था के लोगों ने हिंदू धर्म में सुधार किया और भारतीयों के हृदय में स्वाभिमान की भावना जगाई।
2. शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने अनेक कार्य किए।
3. श्रीमती एनी बेसेंट ने बनारस में सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना की आगे चलकर यही बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
4. इन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के समय लोगों में राष्ट्रीय भावना को जागृत किया और इन्होंने 1916 में होमरूल लीग का गठन किया 1917 में वे कांग्रेस की अध्यक्ष भी चुनी गई।
5. श्रीमती एनी बेसेंट ने इस सोसायटी के द्वारा देश की दशा सुधारने पर विशेष बल दिया।
थियोसोफिकल सोसायटी के सिद्धांत
1. ये लोग के लोग आत्मा और परमात्मा में विश्वास करते थे।
2. प्राकृतिक पूजा तथा मूर्ति पूजा को वैज्ञानिक मानते थे।
3. आत्मा परमात्मा का अंश है।
4. इस संस्था के लोग जाति और भेदभाव को गलत मानते थे।
5. यह लोग देश प्रेम में विश्वास रखते थे।