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इटली का एकीकरण
फ़्रांस में नेपोलियन की पराजय के बाद कांग्रेस ने इटली की राष्ट्रीय भावनाओं की उपेक्षा करते हुए निरंकुश शासकों की स्थापना की। नेपल्स तथा सिसली में फर्डिनेंड प्रथम की सत्ता स्थापित हुई। लोमबार्डी तथा वेनेशिया पर ऑस्ट्रिया का अधिकार हो गया। पोप को रोम के साथ अन्य प्रदेश भी मिले। पारमा, मोडेना एवं तस्कनी पर हैप्सबर्ग का अधिकार स्थापित हुआ। सार्डिनिया और जिनोआ को पिडमान्ट में मिला दिया गया। इस प्रकार इटली विभिन्न राज्यों में विभाजित था और उस पर ऑस्ट्रिया का अधिकार बना हुआ था।
इटली के एकीकरण में समस्या
- 1. ऑस्ट्रिया का इटली के एकीकरण में प्रमुख बाधा थी। ऑस्ट्रिया एक शक्तिशाली देश था जिसका प्रभाव इटली के राज्यों पर अधिक था।
- 2. रोम पर पोप का अधिकार था। उसकी सत्ता समाप्त करना भी कठिन कार्य था।
- 3. इटली के शासकों में पारस्परिक ईर्ष्या के कारण एकीकरण के मार्ग में रुकावट का कार्य कर रही थी।
- 4. यूरोप के अन्य राज्यों का इटली के मामलों में हस्तक्षेप भी उसके एकीकरण के समक्ष एक समस्या थी।
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इटली के एकीकरण के चरण
इटली का एकीकरण पांच चरणों में हुआ। जो निम्नलिखित है। —
प्रथम चरण
प्रथम चरण में लोमबार्डी पर ऑस्ट्रिया का अस्तित्व समाप्त हो गया अब यह सर्डिनिया-पिडमांट के अधिकार में आ गया। 1852 में सर्डिनिया और पिडमांट के शासक विक्टर एमानुएल द्वितीय ने कावूर को प्रधानमंत्री बना दिया।
कावूर एक संपन्न व्यक्ति थाा। उसने इसके लिए इंग्लैंड तथा फ्रांस जैसे शक्तिशाली देशों की सहानुभूति प्राप्त करने का प्रयास किया और सफल भी रहा। 29 अप्रैल 1859 ई• में ऑस्ट्रिया तथा पिडमांट के मध्य होने वाले युद्ध में फ्रांस की सहायता प्राप्त हो गई फ्रांस और पिडमांट की संयुक्त सेनाओं ने ऑस्ट्रिया को पराजित कर दिया।
युद्ध के बाद ऑस्ट्रिया तथा फ्रांस में बिलाफ्रेंका की संधि हुई। जिसके अनुसार लोम्बार्डी पर पिडमांट का अधिकार हो गया किंतु वेनेशिया अभी भी ऑस्ट्रिया के ही अधिकार में बना रहा।
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द्वितीय चरण
इटली के एकीकरण के द्वितीय चरण में इटली को महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त हुई। जिस समय ऑस्ट्रिया और पिडमांट का युद्ध चल रहा था। पारमा, मोडेना तथा टस्कनी की रियासतों से अपने शासकों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था। वहां की जनता की राय लेने के लिए जनमत संग्रह कराया गया।
बहुसंख्यक जनता ने पिडमांट राज्य में मिलाए जाने के पक्ष में मतदान किया। अतः इन रियासतोंं को पिडमांट में मिला लिया गया और 1860 ई• में एकीकृत इटली का प्रथम अधिवेशन संपन्न हुआ। इस प्रकार पारमा, मोडेना तथा टस्कनी की रियासते सीधे पिडमांट के अधिकार में हो गई।
तृतीय चरण
इटली के एकीकरण के तृतीय चरण में सिसली तथा नेपल्स पर पिडमांट का अधिकार हो गया। 1860 ई• में सिसली के निवासियों ने नेपल्स के शासक फ्रांसीसी द्वितीय के विरुद्ध विद्रोह कर दिया विद्रोहियों का नेता क्रिस्पी था। जिसने गैरीबाल्डी की सहायता ली।
गैरीबाल्डी की मदद से सिसली तथा नेपाल को इटली में एकीकृत किया जा सका इस कार्य में भी सिसली और नेपाल के राज्य का जनमत संग्रह कराया गया। 1860 ई• में नेपल्स के राजभवन में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया। जिसमें विक्टर इमानुएल द्वितीय को संपूर्ण इटली का सम्राट घोषित किया गया।
चतुर्थ चरण
1861 ई• में पिडमांट के प्रधानमंत्री काउंट कावूर की मृत्यु हो जाने से इटली के एकीकरण की बागडोर सीधे सम्राट विक्टर इमानुएल द्वितीय के हाथों में आ गई। अभी भी वेनेशिया तथा रोम पर पिडमांट के अधिकार में नहीं थे। किंतु ऑस्ट्रिया प्रशा युद्ध के पश्चात वेनेशिया में भी जनमत गणना कराई गई। जिसमें वेनेशिया को इटली के साथ मिला लिया गया। जनमत गणना में वेनेशिया की जनता ने इटली में विलय के पक्ष में मत दिया था।
पंचम चरण
वेनेशिया के विलय के पश्चात केवल रोम ही एक ऐसा भाग था जो सर्डिनिय पिडमांट के अधीन नहीं था। 1870 ई• में प्रसा के युद्ध के समय फ्रांस की फ्रांसीसी सेना रोम से हट गई। मौके का लाभ उठाकर विक्टर इमानुएल द्वितीय ने रोम पर भी अधिकार कर लिया। जनमत संग्रह के बाद रोम को भी सर्डिनिय पिडमांट में मिला लिया गया। रोम को संयुक्त इटली की राजधानी घोषित किया गया। इस प्रकार रोम से पोप की सत्ता समाप्त हो गई और इटली के एकीकरण का कार्य पूर्ण हुआ।
FAQ
Q.1 इटली की स्थापना कब हुई?
Ans. 1946 ई• में
Q.2 इटली का एकीकरण कितने चरणों में समाप्त हुआ?
Ans. 5 चरणों में
Q.3 इटली का एकीकरण कब हुआ?
Ans. 1848 से 1870 के मध्य
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